छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की बड़ी राहत: प्राचार्य पदोन्नति पर हटाया स्टे, सरकार को मिला न्यायिक समर्थन

रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर लंबे समय से चल रही कानूनी प्रक्रिया पर आज उच्च न्यायालय ने बड़ा निर्णय दिया है। माननीय न्यायमूर्ति श्रीमती रजनी दुबे एवं न्यायमूर्ति श्री अमितेंद्र कुमार प्रसाद की डबल बेंच ने फैसला सुनाते हुए पदोन्नति सूची पर लगी रोक (स्टे) को हटा दिया है। अब राज्य सरकार को पदोन्नति प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति मिल गई है।
शासन द्वारा 30 अप्रैल को जारी की गई प्राचार्य पदोन्नति सूची को हाईकोर्ट ने 1 मई को अस्थायी रूप से रोक दिया था। इसके बाद 9 जून से 17 जून तक इस मामले में प्रतिदिन सुनवाई हुई। सभी पक्षों की ओर से विस्तृत बहस हुई और 17 जून को निर्णय सुरक्षित रखा गया था।
राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री यशवंत सिंह ठाकुर ने तर्कसंगत ढंग से पक्ष रखा। वहीं, छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन की ओर से अधिवक्तागण श्री अनूप मजूमदार, अमृतोदास, विनोद देशमुख व जमील अख्तर ने लाभार्थी शिक्षकों के पक्ष को मजबूती से प्रस्तुत किया।
कोर्ट ने अंततः यह माना कि शासन की प्रक्रिया न्यायसंगत है और स्टे को हटाते हुए पदोन्नति की प्रक्रिया को बहाल कर दिया। साथ ही नियम 15 में संशोधन का भी निर्देश दिया गया है।
टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष श्री संजय शर्मा ने पहले ही शिक्षा सचिव एवं लोक शिक्षण संचालक से भेंट कर इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की थी। अब जब न्यायालय ने स्थिति स्पष्ट कर दी है, तो नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ ही प्राचार्य पदों पर पदोन्नति शीघ्र ही की जाएगी।
प्रदेश के शालाओं में बड़ी संख्या में प्राचार्य पद रिक्त हैं, और शिक्षण व्यवस्था की मजबूती के लिए इन पदों पर शीघ्र नियुक्ति आवश्यक है।
इस पूरी प्रक्रिया में संजय शर्मा, मनोज सनाढ्य, मुकेश पांडेय, रामगोपाल साहू, राजेश शर्मा, चिंताराम कश्यप, चंद्रशेखर गुप्ता, तोषण गुप्ता, अनामिका तिवारी और मोहन तिवारी जैसे शिक्षक नेता लगातार सक्रिय रहे।
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